इतिहास की चोटों का एक दाग लिए फिरते है
सीने के घराने में इक दर्द लिए फिरते है
हम भूल नही सकते महमूद तेरी गजनी
अब तक भी आंखों में वह खून लिए फिरते है
इतिहास की चोटों का इक दाग लिए फिरते है
बाबर तेरे प्याले टूटे बता कितने ?
पर सरहदी का अफ़सोस लिए फिरते है
इतिहास की चोटों का इक दाग लिए फिरते है
झाला था इक माना कुरम था इक माना
सोने के लगे जंग पै अचरज लिए फिरते है
इतिहास की चोटों का इक दर्द लिए फिरते है
कर्जन तेरी दिल्ली में अनमी था इक राना
सड़कों पे गिरे ताजों के रत्न चुगा फिरते है
इतिहास की चोटों का इक दर्द लिए फिरते है
आपस में लड़े भाई गैरों ने हमें कुचला
अब मिलकर लड़ने का अरमान लिए फिरते है
इतिहास की चोटों का इक दाग लिए फिरते है
Friday, June 5, 2009
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